समाज का बोध (Samaj ka bodh) : कक्षा 11 के लिए पाठ्यपुस्तक (kaksha 11 ke liye pathyapustak) / प्रकाशक (published by) राजस्थान राज्य पाठयपुस्तक मंडल (Rajasthan State Textbook Board) ; साभार (associated with) राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (National Council of Educational Research and Training) (NCERT) एवं (and) माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान (Board of Secondary Education Rajasthan).

Contributor(s): Material type: TextTextLanguage: Hindi Publication details: Jaipur : Rajasthan State Textbook Board, 2011.Edition: 1st edDescription: xi, 111 p. : ill. ; 24 cmSubject(s): DDC classification:
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Contents:
विषय-सूची - आमुख -- शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के लिए दो शब्द -- 1. समाज में सामाजिक संरचना, स्तरीकरण और सामाजिक प्रक्रियाएँ -- 2. ग्रामीण तथा नगरीय समाज में सामाजिक परिवर्तन तथा सामाजिक व्यवस्था -- 3. पर्यावरण और समाज -- 4. पाश्चात्य समाजशास्त्री - एक परिचय -- 5. भारतीय समाजशास्त्री।
Summary: इस पुस्तक में हम सामाजिक संरचना, सामाजिक स्तरीकरण एवं सामाजिक प्रक्रियाओं की अवधारणाओं को जानकर इस संबंध को बेहतर तरीके से समझने का प्रयास करेंगे। हम यह समझने का प्रयास करेंगे कि व्यक्ति समूहों की सामाजिक संरचना में कहाँ स्थान पाते हैं और वे किस तरह कार्य करते और सामाजिक प्रक्रियाओं को प्रवर्तित करते हैं। वे किस प्रकार सहयोग, प्रतियोगिता और संघर्ष करते हैं? वे भिन्न प्रकार के समाज में सहयोग, प्रतियोगिता और संघर्ष भिन्न प्रकार से क्यों करते हैं? समाजशास्त्र के मूल प्रश्नों के उपागम को आगे बढ़ाते हुए पहली पाठ्यपुस्तक में हमने इन प्रक्रियाओं को उनके स्वाभाविक और अपरिवर्तनीय रूप में नहीं देखा पर उन्हें सामाजिक रूप में बनते हुए देखा। हम उदारवादियों की इस व्याख्या को स्वीकार नहीं करते कि मानव स्वभाव से ही प्रतियोगी और संघर्ष प्रवृत्ति का होता है।
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School Text Books School Text Books Gulbanoo Premji Library, Azim Premji University, Bengaluru 4th Floor 301 RAJ (Browse shelf(Opens below)) Available ST3631
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विषय-सूची -
आमुख --
शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के लिए दो शब्द --
1. समाज में सामाजिक संरचना, स्तरीकरण और सामाजिक प्रक्रियाएँ --
2. ग्रामीण तथा नगरीय समाज में सामाजिक परिवर्तन तथा सामाजिक व्यवस्था --
3. पर्यावरण और समाज --
4. पाश्चात्य समाजशास्त्री - एक परिचय --
5. भारतीय समाजशास्त्री।

इस पुस्तक में हम सामाजिक संरचना, सामाजिक स्तरीकरण एवं सामाजिक प्रक्रियाओं की अवधारणाओं को जानकर इस संबंध को बेहतर तरीके से समझने का प्रयास करेंगे। हम यह समझने का प्रयास करेंगे कि व्यक्ति समूहों की सामाजिक संरचना में कहाँ स्थान पाते हैं और वे किस तरह कार्य करते और सामाजिक प्रक्रियाओं को प्रवर्तित करते हैं। वे किस प्रकार सहयोग, प्रतियोगिता और संघर्ष करते हैं? वे भिन्न प्रकार के समाज में सहयोग, प्रतियोगिता और संघर्ष भिन्न प्रकार से क्यों करते हैं? समाजशास्त्र के मूल प्रश्नों के उपागम को आगे बढ़ाते हुए पहली पाठ्यपुस्तक में हमने इन प्रक्रियाओं को उनके स्वाभाविक और अपरिवर्तनीय रूप में नहीं देखा पर उन्हें सामाजिक रूप में बनते हुए देखा। हम उदारवादियों की इस व्याख्या को स्वीकार नहीं करते कि मानव स्वभाव से ही प्रतियोगी और संघर्ष प्रवृत्ति का होता है।

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