कामदेव का अपना वसंत ऋतू का सपना (Kamdev ka apna basant ritu ka sapana) /
by शेक्सपियर, विलियम (Shakespeare, William).
Edition statement:1st ed. Published by : Vani Prakashan, (New Delhi : ) Physical details: 64 p. ; 22 cm. ISBN:8170557704 (hbk.).Item type | Current location | Call number | Status | Date due | Barcode |
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Azim Premji University, Bangalore | 891.432 SHE (Browse shelf) | Not for loan | 44429 |
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एथेंस का इ्यूक थिसियस अमेजनों की रानी हिपोलाइटा से विवाह की तैयारियाँ कर रहा है विवाहोत्सव की उसकी योजनाएँ गँंवई कारीगरों के एक दल को अपने ही द्वारा विरचित एक त्रासदी का मंचन करने को उकसाता है जिसका पूर्वाभ्यास वे पास के एक वन में करने का निश्चय करते हैं। उसी समय एक प्रेमी युगल हर्मिया और लाइसेंडर उसी वन में छिप जाते हैं क्योंकि हर्मिया का पिता चाहता है कि बेटी का विवाह डेमेट्रियस नामक दूसरे नवयुवक से हो । प्रेमी युगल गुलती से अपनी योजनाएँ हेलेना को बता देते हैं जो डेमेट्रियस को चाहती है। ड्यूक के विवाह के उपलक्ष्य में बन आई हुई परियों से भरा हुआ है। उनके राजा ओवरॉन की अपनी रानी टाइटानिया से खटपट हो गई है। पक नामक एक गण को एक ऐसा फूल खोजने वन में भेजता है। जिसका रस यदि किसी सोते हुए व्यक्ति की पलकों में निचोड़ दिया जाए तो वह जागने के बाद जिस पहले जीव को देखेगा उसी के प्रेम में पड़ जाएगा। ओबरॉन की कारस्तानियाँ और पक द्वारा जान-बूझकर की गई गुलतियाँ प्रेमियों को कई गुलतफमियों में डाल देती हैं जो तभी सुलझती हैं जब ओबरॉन टाइटानिया को उसका असली रूप लौटा देता है। अब चारों प्रेमियों को अपना सही साथी मिल जाता है और ड्यूक थिसियस उन्हें अपने साथ तिहरे विवाहोत्सव में सम्मिलित होने के लिए एथेंस लौटने के लिए निमंत्रित करता है जिसमें गँवई कारीगरों की रंगमंडली एक लोटपोट कर देनेवाला मंचन प्रस्तुत करती है।
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